फूलदेई उत्तराखंड मै
फूलदेई उत्तराखंड मै क्यों ख़ास है ? 14 मार्च को चैत्र मास की संक्रान्ति।
इस संक्रांति को उत्तराखण्ड में 'फूलदेई' के नाम से एक लोक पर्व मनाया जाता है, जो बसन्त ऋतु के स्वागत का त्यौहार है। इस दिन छोटे बच्चे सुबह ही उठकर जंगलों की ओर चले जाते हैं और वहां से प्योली/फ्यूंली, बुरांस, आडू, खुबानी व पुलम आदि के फूलों
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💐को चुनकर इन्हें चावल के साथ हर घर की देहरी पर लोकगीतों को गाते हुये जाते हैं और देहरी का पूजन करते हुये गाते हैं-
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'फूल देई, छम्मा देई,
देणी द्वार, भर भकार,
ये देली स बारम्बार नमस्कार,
फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई।'
आप सभी को लोक पर्व फूलदेई की मंगलकामनाएं।
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'फूल देई, छम्मा देई,
देणी द्वार, भर भकार,
ये देली स बारम्बार नमस्कार,
फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई।'
आप सभी को लोक पर्व फूलदेई की मंगलकामनाएं।




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