प्रकाश के प्राथमिक, द्वितीयक और पूरक रंग

 श्वेत प्रकाश  7 रंगों के प्रकाश से मिलकर बना होता है।  

ये 7 रंग क्रमानुसार "बैंगनीनीलाआसमानीहरापीलानारंगीलाल" होते हैं  जिन्हें संक्षेप में "बैंनीआहपीनालाया VIBGYOR" कहा जाता है।

काँच की एक प्रिज़्म  से गुजरने पर श्वेत प्रकाश के अपवर्तित होकर जब श्वेत पर्दे पर गिरता है तो पर्दे पर श्वेत प्रकाश के स्थान पर इंद्रधनुष के समान सात रंगों की पट्टी दिखाई देती हैं। इस पट्टी को श्वेत प्रकाश का वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) कहते हैं। प्राप्त होने वाले ये 7 रंग क्रम से लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। 

न्यूटन का प्रयोग-

पहले यह माना जाता था कि प्रिज्म एक ऐसा उपकरण है जो श्वेत प्रकाश को 7 रंग के प्रकाश में बदल देता है। वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन ने इस तथ्य पर वैज्ञानिक प्रयोग किए तथा बताया कि श्वेत प्रकाश में सात रंग पहले से ही मौजूद होते है। प्रिज्म से गुजरने पर अपवर्तन के कारण यह 7 रंगों में विभक्त हो जाता है। 

उन्होंने एक छोटे से छेद गुजर कर आने वाली श्वेत प्रकाश की किरण को एक प्रिज्म काँच द्वारा अपवर्तित होकर पर्दे पर गिराया तथा पर्दे पर श्वेत प्रकाश के स्थान पर सात रंगों की पट्टी प्राप्त की। जब न्यूटन ने प्रिज्म से गुजर कर आने वाले प्रकाश के मार्ग में एक और प्रिज्म प्रथम  प्रिज्म से उल्टा रखा, तो इन सातों रंगों का प्रकाश मिलकर पुन: श्वेत प्रकाश बन गया। इससे सिद्ध हुआ कि श्वेत प्रकाश में 7 रंग पहले से ही मौजूद होते हैं तथा प्रिज्म उसे 7 रंगों में विभक्त भी करता है तथा उन्हें पुनः मिला कर श्वेत प्रकाश में बदल भी देता है।

प्रकाश के प्राथमिक रंग या मूल रंग -

प्रकाश के वे रंग जो किन्ही अन्य रंगों के मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं तथा जो  अपने आप में स्वतंत्र होते हैं।  उन्हें प्राथमिक रंग या मूल रंग कहते है। 

प्रकाश के 3 प्राथमिक रंग होते हैं-

1. लाल (RED)                          2. हरा (GREEN)               3. नीला (BLUE)

इन्हें ''RGB'' से व्यक्त करते हैं। इन तीन रंगों के प्रकाश से मिलकर ही अन्य रंग बनते हैं।

द्वितीयक रंग-

प्रकाश के वे रंग जो अपने आप में स्वतंत्र नहीं होते हैं और जो दो प्राथमिक रंगों के मिश्रण के द्वारा प्राप्त किये जाते हैं,  उन्हें द्वितीयक रंग कहते है।

प्रकाश के तीन द्वितीयक रंग होते हैं- 

1. पीला (YELLOW)     2. रानी या मेजेंटा (Magenta)        3. (CYAN) सियान

 
इन्हें ''CMY'' कहते हैं ।

आईये देखें-  किन दो प्राथमिक रंगों के प्रकाश के मिलने से कौनसा 'द्वितीयक रंग' का प्रकाश बनता है-

1. लाल + नीला रानी या मेजेंटा

2. हरा + लाल = पीला

3. हरा नीला = सियान

क्या होता है जब तीनों प्राथमिक रंगों को मिलाया जाए-

लाल + नीला + हरा =   श्वेत  प्रकाश

 तीनों प्राथमिक रंगों के प्रकाश को मिलाने पर श्वेत प्रकाश बनता है। 

पूरक रंग-

यदि दो रंगों (एक प्राथमिक एवं एक द्वितीयक रंग) को मिलाने पर यदि श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है तो उन दोनों रंगों को एक दूसरे का पूरक रंग कहा जाता है।


1.  हरा  + मेजेंटा   =  हरा + लाल + नीला =   श्वेत                         (चूँकि लाल + नीला रानी या मेजेंटा )

अतः हरा एवं मजेंटा एक दूसरे के पूरक रंग है।

2.  नीला एवं  पीला    एक दूसरे के पूरक है क्योंकि इन दोनों को मिलाने से श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों मेंपीला रंग शेष दो प्राथमिक रंग लाल और हरे रंग के प्रकाश को मिलाने से बनता है, अतः  पीले रंग में शेष रहे तीसरे प्राथमिक रंग 'नीले रंग' को मिलाने पर श्वेत प्रकाश बनेगा।  इसलिए नीले एवं  पीले   को एक  दूसरे का  'पूरक रंग' कहा जाता है। 

3. इसी प्रकार लाल एवं सियान  रंग एक दूसरे के पूरक रंग  है। 

अन्य शब्दों में तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा और नीला में से किन्हीं दो रंगों को मिलाने से एक द्वितीयक  रंग बनता है, तब शेष बचा तीसरा प्राथमिक रंग एवं बना हुआ द्वितीयक रंग परस्पर पूरक रंग होंगे।

1.   पीला     =   हरा + लाल        =   - नीला

2.  सियान   =   नीला + हरा       =   - लाल

3.   मेंजेंटा   =   नीला + लाल     =   - हरा


"किसी प्राथमिक रंग में उसका पूरक रंग मिला देने से तीनों रंग सम्मिलित हो जाने के कारण सफ़ेद रंग बन जाता है। इसलिए इसे पूरक रंग कहा जाता है। "अर्थात जिस रंग को सफ़ेद बनाने में जिस रंग की कमी होती है उसे पूरक रंग पूरा करता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रोटोकॉल क्या होता है

जानिये, 'चाचा चौधरी' की कहानियों में कैसे आया साबू