सूर्य मंदिर अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)

  1. ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समिर्पत देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अल्मोड़ा शहर से 16 किमी दूर स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर का परिसर 800 साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर 45 छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। हालांकि यह प्राचीन तीर्थ स्थल आज एक खंडर में तब्दील हो चुका है, बावजूद इसके यह अल्मोड़ा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।कटारमल का सूर्य मन्दिर अपनी बनावट के लिए विख्यात है।  महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने इस मन्दिर की भूरि-भूरि प्रशंसा की।  उनका मानना है कि यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा अर्चना करते रहै हैं।  उन्होंने यहाँ की मूर्तियों की कला की प्रशंसा की है।

    कटारमल के मन्दिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं।  यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है।  यह मूर्ती बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रुप में दिखाई देती है।

    कटारमल के सूर्य मन्दिर तक पहुँचने के लिए अल्मोड़ा से रानीखेत मोटरमार्ग के रास्ते से जाना होता है।  अल्मोड़ा से १४ कि.मी. जाने के बाद ३ कि.मी. पैदल चलना पड़ता है।  मन्दिर १५५४ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।  अल्मोड़ा से कटारमल मंदिर १७ कि.मी. की निकलकर जाता है। रानीखेत से सीतलाखेत २६ कि.मी. दूर है।  १८२९ मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है।माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के मध्यकालीन राजा कटारमल ने किया, जिन्होंने द्वाराहाट से इस हिमालयी क्षेत्र पर शासन किया।

    यहां पर विभिन्न समूहों में बसे छोटे-छोटे मंदिरों के 50 समूह हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ माना जाता है। वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13वीं शदी में हुआ माना जाता है।

    यह मंदिर प्राचीन सूर्य भगवान वर्धादित्य या बड़ादित्य को समिर्पत है। मंदिर भवन में श्रद्धालु शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं देख सकते हैं। मंदिर अपने आप में वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है और यहां की दीवारों पर बेहद जटिल नक्काशी की गई है। रिकॉर्ड से पता चलता है की इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी के राजा कटारमल ने 9वीं शताब्दी में करवाया था।
    समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का सामने वाला हिस्सा पूर्व की ओर है। इसका निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर की दीवार पत्थरों से बनी है और इनके खम्भों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है।

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