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सीरिया में किलकारियों की मौत, इंसानियत शर्मसार!

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सीरिया में हो रहे घटनाक्रम की एक छोटी से पेशकश हाकिम और हुकूमतें अवाम को सुनहरे भविष्य का सपना दिखाकर जंग छेड़ती हैं. जंग थमती है तो कोई जीतने की खुशफहमी में डूबा रहता है, तो कोई हारने के ग़म में. जबकि सच्चाई ये है कि जंग में हमेशा ज़िंदगी ही हारती है. पर सीरिया में तो हाकिम भी अपना, मुल्क भी अपना और अवाम भी अपनी. फिर भी अपने ही हाकिम ने अपने ही देश की जनता पर आसमान से ऐसा जहर बरसाया कि पल भर में सौ से ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा गए. हम बात कर रहे हैं सीरिया में हुए रासायनिक हमले की. सीरिया में रासायनिक हमला कहते हैं किलकारियों को मुस्कुराहट देना भी किसी इबादत से कम नहीं है. पर जब सांसे कातिल बन जाए तो किलकारियां गूंजती नहीं बल्कि घुट जाती हैं. और यही हुआ सीरिया के एक शहर के साथ. सारा शहर सो कर बस उठा ही था. एक रॉकेट धीरे से शहर के आसामन में दाखिल हुआ. रॉकेट जमीन पर गिरा. रॉकेट से गैस निकली और फिर देखते ही देखते लोगों की सांसों में ऐसी घुली कि सैकड़ों सांसें रुक गईं. ये था सीरिया में रासायनिक हथियार का हमला. जिसे रॉकेट से अंजाम दिया गया था. बच्चों पर बरसा मौत का कहर आसमान से...

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थक चूका हूँ मै,  जीवन की इस भाग दौड़ से हर आने वाले नए मोड़ से थक चुका हूँ मैं। हर पल एक नई जंग की तैयारी होती है रोज उठता हूँ तो कई ग़मों से यारी होती है, कलम उठा कर लिखने लगता हूँ मैं जज़्बात अपने पढ़ लेता है कोई तो बहुत दुश्वारी होती है, संघर्षों की आग में अब पक चुका हूँ मैं, जीवन की इस भाग दौड़ से हर आने वाले नए मोड़ से थक चुका हूँ मैं। बहुत मुश्किल से दो पल फुर्सत का इंतजाम होता है करने वाला कोई और है और किसी और का नाम होता है, तबाह होते हैं जब शहर, तो शहज़ादे महफूज होते हैं कोई बर्बाद होता है तो वो लोग आम होते हैं, भेदभाव की इस दुनिया में अटक चुका हूँ मैं, जीवन की इस भाग दौड़ से हर आने वाले नए मोड़ से थक चुका हूँ मैं। कुछ छोड़ देते हैं खाना डाइटिंग के नाम पर कुछ लोगों को न एक वक्त खाना नसीब होता है, तपती गर्मी में कई ऐसी के नीचे सोते हैं हादसे सोते लोगों के साथ तो बस फुटपाथ पर होते हैं, कानून भी हस्ती का होता है अब ये सीख सबक चुका हूँ मैं, जीवन की इस भाग दौड़ से हर आने वाले नए मोड़ से थक चुका हूँ मैं। न जाने कब कोई सुधार आएगा वतन को सुधारने कब कोई अवतार आएगा, बचपन से ज...