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कैलाश मानसरोवर : जहां कण-कण में हैं शिव

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आइए हम आपको दर्शन करा रहे हैं कैलाश मानसरोवर के। मानसरोवर वही पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है। कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊंचा एक पत्थर का पिरामिड, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभु की आराधना करने, हजारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफी बढ़ जाती है।  मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है।इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है।  कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।   पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यह...

सूर्य मंदिर अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)

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ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समिर्पत देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अल्मोड़ा शहर से 16 किमी दूर स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर का परिसर 800 साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर 45 छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। हालांकि यह प्राचीन तीर्थ स्थल आज एक खंडर में तब्दील हो चुका है, बावजूद इसके यह अल्मोड़ा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।कटारमल का सूर्य मन्दिर अपनी बनावट के लिए विख्यात है।  महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने इस मन्दिर की भूरि-भूरि प्रशंसा की।  उनका मानना है कि यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा अर्चना करते रहै हैं।  उन्होंने यहाँ की मूर्तियों की कला की प्रशंसा की है। कटारमल के मन्दिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं।  यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है।  यह मूर्ती बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर...