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रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर – एक भारतीय जासूस जो बन गया था पाकिस्तानी सेना में मेजर

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Black Tiger Ravindra Kaushik Story in Hindi  : अपने देश के लिए दुशमन देश में जाकर जासूसी करना बड़ा ही मुश्किल भरा काम होता है। एक तरफ तो जहां हर वक़्त उनकी गर्दन पर मौत की तलवार लटकी रहती है वही दूसरी तरफ बदकिस्मती से यदि वो देश की सेवा करते हुए दुश्मन देश में पकड़ा जाए तो अपने देश की सरकार ही उनसे पल्ला झाड़ लेती है, उनकी किसी तरह की कोई सहायता नहीं करती है। और अंत में  जब उनकी दुशमन देश में मौत हो जाती है तो उनको अपने वतन की मिट्टी तक नसीब नहीं होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही भारतीय जासूस की सच्ची कहानी बताते है जो पाकिस्तान जाकर, पाकिस्तानी सेना में भर्ती होकर मेजर की पोस्ट तक पहुँच गया था। लेकिन जब वो पकड़ा गया तो भारत सरकार ने किसी तरह की कोई मदद नहीं की, यहां तक की उसकी मौत के बाद उसकी लाश भी देश नहीं लाइ गई। यह कहानी है भारतीय जाबांज जासूस ‘रविन्द्र कौशिक’ उर्फ़ ‘ब्लैक टाइगर’ की। कहानी ब्लैक टाइगर की- राजस्थान के श्री गंगानगर के रहने वाले रविन्द्र कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को हुआ। उसका बचपन गंगानगर में ही बीता। बचपन से ही उसे थियेटर का शौ...

रोचक तथ्य।......

1:  Albert Einstein ........ के अनुसार हम रात के समय आकाश में जिन लाखों तारों को जहाँ देखते है उस जगह नही होते ब्लकि किसी और जगह होते हैं। हमें तों उनके द्वारा छोडा गया कई लाख प्रकाश साल पहले का प्रकाश दिखाई पड़ रहा होता है। 2: किसी भी वर्गाकार सूखे कागज को आधा- आधा करके 7 बार से अधिक बार नहीं मोड़ा जा सकता। 3: इंसान खाना खाए बिना कई हफ्ते जीवित रह सकता है, लेकिन सोए बिना केवल 11 दिन ही रह सकता है। 4: आकाशीय बिजली कड़कने से जो तापमान पैदा होता है वह सूर्य की सतह पर पाए जाने वाले तापमान से पांच गुना ज्यादा होता है। 5: हम शाम के मुकाबले सुबह लगभग 1 cm लम्बे होते हैं। 6: धरती पे जितना भार सारी चीटीयों का है उतना ही सारे मनुष्यो का है। 7: कॉकरोच सिर कटने के बाद भी कई सप्ताह तक जिंदा रह सकता है। दरअसल वह सिर कटने से नहीं, भूख से मरता है। 8: ग्रीक और बुलगागिया में एक युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक कुत्ता उनका border पार कर गया था। 9: 1894 में जो सबसे पहला कैमरा (Camera) बना था उससे आपको अपनी फोटो खीचने के लिए उसके सामने 8 घंटे तक बैठना पड़ेगा। Inte...

प्रकाश के प्राथमिक, द्वितीयक और पूरक रंग

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  श्वेत प्रकाश    7 रंगों के प्रकाश से मिलकर बना होता है।   ये 7 रंग क्रमानुसार " बैंगनी ,  नीला ,  आसमानी ,  हरा ,  पीला ,  नारंगी ,  लाल " होते हैं ।    जिन्हें संक्षेप में " बैंनीआहपीनाला या  VIBGYOR " कहा जाता है। काँच की एक प्रिज़्म  से गुजरने पर श्वेत प्रकाश के अपवर्तित होकर जब श्वेत पर्दे पर गिरता है तो पर्दे पर श्वेत प्रकाश के स्थान पर इंद्रधनुष के समान सात रंगों की पट्टी दिखाई देती हैं। इस पट्टी को श्वेत प्रकाश का  वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम)  कहते हैं। प्राप्त होने वाले ये 7 रंग क्रम से लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।  न्यूटन का प्रयोग- पहले यह माना जाता था कि प्रिज्म एक ऐसा उपकरण है जो श्वेत प्रकाश को 7 रंग के प्रकाश में बदल देता है। वैज्ञानिक   सर आइजक न्यूटन  ने इस तथ्य पर वैज्ञानिक प्रयोग किए तथा बताया कि श्वेत प्रकाश में सात रंग पहले से ही मौजूद होते है। प्रिज्म से गुजरने पर अपवर्तन के कारण यह 7 रंगों में विभक्त हो जाता है।  उन्होंने...

केजरीवाल से तुलना किये जाने पर भड़के तमराज किलविश, कहा हम अँधेरा फैलाते हैं रायता नहीं

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मुम्बई: - “अँधेरा कायम रहे” के मशहूर नारे से देश भर में जाने जाने वाले व्यक्ति   किले शप्रसाद   विश म्भरनाथ जमघटिया जिन्हें के इन शार्ट किलविश भी कहा जाता है आजकल मुम्बई में अपना NGO चला रहे हैं। उन्हें “तमराज किलविश” कहने वाले उनकी नुमाइंदो की संख्या आज भी कम नहीं है। हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से बात करते हए तमराज किलविश तब भड़क उठे जब एक रिपोर्टर ने उनकी तुलना आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो नेता और देश के जाने माने अभिनेता श्री अरविन्द केजरीवाल जी से कर डाली। पेश है उस प्रेस वार्ता के कुछ अंश: गुस्साए तमराज किलविश रिपोर्टर:- तमराज, आप आजकल एक सोशल वर्कर हैं, अपना NGO चलाते हैं। इस बीच लोग कह रहे हैं के आप राजनीति में घुसने वाले हैं और अपनी पॉलिटिकल पार्टी बनाने वाले हैं क्या ये सच है? तमराज   किलविश: - देखिये भविष्य में हम क्या करने वाले हैं ये कोई नहीं जानता। भविष्य अन्धकार के समान काला है, अज्ञात है। इसीलिए हम कहते हैं कि अँधेरा कायम रहे हमेशा। तभी कायम रहेगा तुम्हारा वजूद। रिपोर्टर:- नहीं आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया? लोग कह रहे हैं के आ...

सामन्य ज्ञान के कुछ शार्ट फॉर्मूले

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जानिये, 'चाचा चौधरी' की कहानियों में कैसे आया साबू

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मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा सिर्फ एक कार्टूनिस्ट नहीं थे, बल्कि वे एक संपूर्ण कलाकार थे. मौजूदा दौर में जितने भी कार्टून आप देख रहे हैं, ये सब ऐसे लगते हैं, जैसे प्राण के कार्टूनों की ही नकल हों. एक कार्टूनिस्ट के लिए यह बहुत बड़ी बात है कि उसकी कृतियां उसके बाद के सभी कलाकारों में कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में नजर आये. इस ऐतबार से प्राण जी के जाने के बाद जो जगह खाली हुई है, वह अब कोई दूसरा नहीं भर पायेगा. हालांकि अब कॉमिक्स पढ़ने-पढ़ाने का वह दौर नहीं रहा. आज के इलेक्ट्रॉनिक दौर में बहुत सारी मौलिकताएं खत्म हो रही हैं. आज कॉमिक्स की जगह 24 घंटे वाले कार्टून चैनल आ गये हैं और उनमें भी तरह-तरह के फंतासी से भरे किरदार हावी हो गये हैं, जिनसे हमारे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. अब लोग कार्टून बनाना नहीं सीख रहे हैं, बल्कि एनीमेशन सीख रहे हैं.  जाहिर है, जैसा दौर होगा, हमारी रचनाशीलता भी वैसी ही होगी. ऐसे में प्राण शर्मा का जाना सचमुच हमें उदास करता है कि अब कागजों पर सत्य और सादामिजाजी वाले कार्टून हमें देखने को नहीं मिलेंगे. कार्टून से गढ़े गये कॉमिक्स की दुनिय...